छत्तीसगढ़ राज्य की रजत जयंती : 25 वर्षों की गौरव यात्रा
छत्तीसगढ़ भारत का 26वाँ राज्य है, जिसका गठन 1 नवम्बर 2000 को हुआ। “धान का कटोरा” कहलाने वाला यह राज्य अपनी स्थापना के बाद से अब तक विकास, संस्कृति और स्वाभिमान की दिशा में 25 वर्ष की गौरवमयी यात्रा पूरी कर चुका है। वर्ष 2025 में छत्तीसगढ़ अपनी रजत जयंती मना रहा है। यह अवसर हमें राज्य की उपलब्धियों, संघर्षों और भविष्य के संकल्पों को याद करने का प्रेरणादायी क्षण प्रदान करता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम दक्षिण कोसल था। यह क्षेत्र न केवल सांस्कृतिक धरोहरों का केंद्र रहा बल्कि स्वतंत्रता संग्राम का भी गवाह बना। यहाँ के वीर सपूतों ने स्वतंत्रता की रक्षा हेतु अपने प्राणों की आहुति दी।
अमर शहीद वीर नारायण सिंह को छत्तीसगढ़ का पहला स्वतंत्रता संग्राम सेनानी माना जाता है।
गुरु घासीदास ने सामाजिक समानता और सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
गुंडाधुर और बस्तर क्षेत्र के आदिवासियों ने अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह किया।
रानी दुर्गावती और रानी अवंति बाई लोधी जैसी वीरांगनाओं का भी यहाँ की धरती से गहरा संबंध रहा।
इन शहीदों और महान विभूतियों ने छत्तीसगढ़ की अस्मिता और स्वाभिमान को नई पहचान दी।
राजनीति और राज्य निर्माण का प्रयास
स्वतंत्रता के बाद लंबे समय तक छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का हिस्सा रहा। क्षेत्रीय असमानताओं और विशेष पहचान की मांग ने अलग राज्य निर्माण की आवश्यकता को जन्म दिया। छत्तीसगढ़ राज्य की माँग को आगे बढ़ाने में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण संगठनों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और जनआंदोलनों का बड़ा योगदान रहा।
अंततः केंद्र सरकार और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रयासों से 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ। पिछले 25 वर्षों में राज्य की राजनीति ने भी विकास को नई दिशा दी। चाहे कांग्रेस हो या भाजपा, दोनों दलों ने अपने-अपने कार्यकाल में शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और सामाजिक कल्याण की योजनाओं को आगे बढ़ाया।
भाजपा सरकार के दौरान नए जिले बनाए गए, अधोसंरचना में निवेश हुआ और कृषि को बढ़ावा दिया गया।
कांग्रेस सरकार ने किसानों के लिए कर्जमाफी, बिजली बिल हाफ योजना, स्वास्थ्य बीमा, नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी जैसी योजनाएँ चलाईं।
इस तरह राजनीतिक नेतृत्व ने प्रदेश को विकास और कल्याण की ओर अग्रसर किया।
प्रदेश की प्रमुख उपलब्धियाँ (2000–2025)
पिछले 25 वर्षों में छत्तीसगढ़ ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल कीं—
🌾 कृषि और ग्रामीण विकास
धान उत्पादन में अग्रणी राज्य बना।
धान खरीदी व्यवस्था और समर्थन मूल्य योजना ने किसानों को लाभ दिया।
"नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी" योजना से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई।
⚙️ उद्योग और ऊर्जा
कोरबा को “भारत का पावर हब” कहा जाता है।
भिलाई इस्पात संयंत्र और लौह अयस्क उत्पादन ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को बल दिया।
रायगढ़ और जांजगीर-चांपा में ऊर्जा आधारित उद्योगों का विकास हुआ।
📚 शिक्षा और स्वास्थ्य
आईआईटी, आईआईएम, एम्स, एनआईटी जैसे राष्ट्रीय संस्थान स्थापित हुए।
संजीवनी योजना और मुफ्त दवा योजना से स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार हुआ।
महिला और बालिकाओं के लिए शिक्षा अभियान चलाए गए।
🎭 संस्कृति और पर्यटन
बस्तर दशहरा और मड़ई महोत्सव को राष्ट्रीय पहचान मिली।
चित्रकोट जलप्रपात, सिरपुर, डोंगरगढ़ जैसे स्थल पर्यटन केंद्र बने।
लोककला, पंडवानी और आदिवासी नृत्यों को अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली।
भविष्य की चुनौतियाँ और संभावनाएँ
रजत जयंती का यह वर्ष केवल उपलब्धियों को गिनाने का नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों के लिए संकल्प लेने का भी अवसर है।
पर्यावरण संरक्षण और खनिज दोहन के बीच संतुलन बनाना होगा।
ग्रामीण-शहरी असमानता और बेरोजगारी जैसी समस्याओं का समाधान आवश्यक है।
शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को और मजबूत करना होगा।
पर्यटन और संस्कृति को बढ़ावा देकर राज्य को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
प्रेरणादायी संदेश
🌾 “धान का कटोरा, छत्तीसगढ़ हमारा।”
🔥 “25 साल का गौरव, उज्ज्वल भविष्य की ओर कदम।”
🌳 “हरियाली, खुशहाली और आत्मनिर्भरता – यही छत्तीसगढ़ की पहचान।”
🚩 “शहीदों की शहादत से सींचा, जनता की मेहनत से सींचा – यही है छत्तीसगढ़।”
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ की 25 वर्षों की यात्रा संघर्ष, विकास और गौरव की कहानी है। यह राज्य अपनी प्राकृतिक संपदा, सांस्कृतिक विविधता और मेहनतकश जनता के कारण अद्वितीय है। शहीदों के बलिदान और राजनीतिक नेतृत्व के प्रयासों से यह राज्य आज प्रगति की राह पर अग्रसर है। रजत जयंती हमें यह संदेश देती है कि हमें मिलकर छत्तीसगढ़ को एक समृद्ध, आत्मनिर्भर और आदर्श राज्य बनाना है।