Saturday, November 16, 2024

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छत्तीसगढ़ राज्य में कथक नृत्य में रायगढ़ राजघराने का योगदान

छत्तीसगढ़ का रायगढ़ राजघराना भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत के क्षेत्र में अपनी अनूठी पहचान रखता है। विशेष रूप से कथक नृत्य के विकास और संरक्षण में रायगढ़ राजघराने का योगदान अद्वितीय और अविस्मरणीय है। इस राजघराने ने छत्तीसगढ़ को सांस्कृतिक और कलात्मक रूप से समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

कथक नृत्य और रायगढ़ राजघराना

कथक नृत्य उत्तर भारत की एक प्रमुख शास्त्रीय नृत्य शैली है, जिसमें नृत्य, भाव, और कथावाचन का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। रायगढ़ राजघराने ने इस नृत्य शैली को न केवल संरक्षण दिया, बल्कि इसे प्रोत्साहित कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

रायगढ़ राजघराने के प्रमुख योगदान

  1. नृत्य और संगीत का संरक्षण:
    रायगढ़ राजघराने के महाराजा चक्रधर सिंह (1905–1947) का योगदान कथक नृत्य के क्षेत्र में सबसे उल्लेखनीय है। उन्होंने न केवल कथक को संरक्षित किया, बल्कि इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। महाराजा चक्रधर सिंह स्वयं एक कुशल कथक नर्तक, संगीतज्ञ, और विद्वान थे। उन्होंने कथक नृत्य के साथ-साथ तबला, पखावज, और संगीत में भी अपना योगदान दिया।

  2. नई संरचनाओं का विकास:
    महाराजा चक्रधर सिंह ने कथक नृत्य में नई संरचनाओं और बंदिशों को जोड़ा। उन्होंने कथक में तबले और पखावज के तालों के प्रयोग को और समृद्ध किया, जिससे यह नृत्य शैली और अधिक प्रभावशाली बनी।

  3. कथक गुरु और कलाकारों का समर्थन:
    रायगढ़ राजघराने ने देश भर के प्रमुख कथक गुरुओं और कलाकारों को संरक्षण दिया। राजघराने के सहयोग से कथक नृत्य का अध्ययन और अभ्यास करने के लिए देशभर से कई कलाकार रायगढ़ आए।

  4. संगीत और नृत्य की शिक्षा:
    महाराजा चक्रधर सिंह ने रायगढ़ में संगीत और नृत्य की शिक्षा को बढ़ावा दिया। उनके प्रयासों से रायगढ़ संगीत घराना अस्तित्व में आया, जो आज भी अपनी परंपरा और समृद्धि के लिए प्रसिद्ध है।

  5. चक्रधर सम्मान:
    रायगढ़ राजघराने की संस्कृति और कला के प्रति प्रतिबद्धता को सम्मानित करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने "चक्रधर सम्मान" की स्थापना की। यह पुरस्कार भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य में उत्कृष्ट योगदान देने वाले कलाकारों को प्रदान किया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय पहचान

रायगढ़ राजघराने ने कथक नृत्य को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी प्रस्तुत किया। उनके प्रयासों से इस नृत्य शैली को न केवल भारत में, बल्कि विदेशों में भी ख्याति मिली।

निष्कर्ष

रायगढ़ राजघराने का योगदान कथक नृत्य के क्षेत्र में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने इस कला को संरक्षित किया, इसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया और इसे भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने का प्रयास किया। रायगढ़ राजघराना आज भी छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।



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